मधुमेह में हृदय रोग-एक चेतावनी
- हृदय रोग की संभावना सामान्य व्यक्ति की तुलना में दो से चार गुना ज्यादा।
- पक्षाघात (लकवा) की संभावना सामान्य व्यक्ति की तुलना में पांच गुना ज्यादा।
- सौ मधुमेह के रोगियों में से अस्सी के मरने का कारण हृदय रोग।
- मधुमेह के रोगियों में धमनियों में रक्त का थक्का बनने की संभावना काफी अधिक।
- अस्पतालों में भर्ती होने वाले मधुमेह रोगियों में 75 प्रतिशत के भर्ती होने का कारण हृदय रोग।
- मधुमेह रोगियों में सामाय व्यक्ति की तुलना में पुरूषों में मृत्यु दर दो गुना एवं महिलाओं में चार गुना अधिक।
- हार्ट फेल्योर की संभावना पुरूषों में छः गुना ज्यादा और महिलाओं में नौ गुना ज्यादा।
- हृदय को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों में हानिकारक कोलेस्ट्राल का जमाव ज्यादा एवं कई स्थानों पर तेजी से बढ़ोत्तरी।
मधुमेह रोगियों में हार्ट अटैक के लक्षण:
- मधुमेह रोगियों में सामान्य व्यक्तियों की तुलना में हार्ट अटैक के लक्षण न्यूनतम होते हैं।
- मधुमेह रोगियों में दिल के दौरे या एन्जाइना की वजह से छाती में दर्द या भारीपन सामान्य व्यक्तियों की तुलना में काफी कम होता है या बगैर किसी तकलीफ के हार्ट अटैक (साइलेंट हार्ट अटैक) हो जाता है।
- हल्का सांस फूलना हार्ट फेल्योर का प्रारम्भिक लक्षण हो सकता है।
- सामान्य व्यक्तियों में जिन्हें मधुमेह नहीं है, एन्जाइना अथवा हार्ट अटैक के दौरान ने के बीच में या बायीं तरफ दर्द होता है, दर्द बायें हाथ या जबड़ों में आ जाता है। पसीना आता है, उल्टी जैसा महसूस होता है। घबराहट के साथ सांस भी फूलता है।
मधुमेह आतंक नहीं-मुकाबला संभव:
- मधुमेह एवं हृदय रोग से सम्बन्धित जिज्ञासा एवं जागरूकता को बनाए रखें।
- नियमित रूप से चिकित्सकीय सलाह लें।
- मधुमेह को किसी भी तरह से नियंत्रित रखें।
- शारीरिक व्यायाम करें। सप्ताह के सातों दिन यानि कि साल के पूरे तीन सौ पैंसठ दिन सुबह या शाम को कुछ देर के लिए पैदल चलने के लिए जरूर समय निकालें। हृदय रोग के मरीज चिकित्सक के सलाह के अनुसार व्यायाम करें। हृदय रोगी भोजन के पश्चात् तीस से साठ मिनट तक आराम करने के बाद ही कोई भी शारीरिक श्रम करें।
- रक्तचाप 130/80 या उससे कम रखें।
- कोलेस्ट्राल को नियंत्रण में रखें।
- वजन नियंत्रित रखें।
- खानपान डाक्टर की सलाह या चार्ट (इसी पुस्तक में उपलब्ध) के अनुसार लें।
- तम्बाकू या धूम्रपान पूर्णतया वर्जित।
मधुमेह: विशेष जांच पड़ताल:
- मूत्र में माइक्रो एल्व्यूमिन’ की जांच साल में एक बार अवश्य करायें। मूत्र में इसकी उपस्थिति गुर्दे की खराबी एवं हृदय से संबंधित रोगों की भविष्यवाणी है।
- दिल का आकार जानने के लिए छाती का एक्स-रे जरूर करायें।
- ई.सी.जी.-हृदय रोग की आरम्भिक जांच के लिए ई.सी.जी. जरूरी।
- टी.एम.टी या स्ट्रेस टेस्ट इस जांच से 80 से 90 फीसदी मधुमेह रोगियों में यह जाना जा सकता है कि उनमें हृदय रोग है अथवा नहीं या भविष्य में इसकी क्या संभावना है। यह जांच एक या दो वर्ष में एक बार जरूरी।
- इकोटेस्ट-इस जांच के द्वारा हृदय की कार्य क्षमता यानि के वाल्वों में रक्त प्रवाह, हृदय की मांसपेशियों का मोटा या पतला होना, हृदय की झिल्ली में पानी आना तथा हार्ट फेल्योर की स्थिति का पता लगाया जाता है। यह जांच भी साल में एक बार जरूरी।
डा0 सुधीर कुमार
मधुमेह एवं हृदय रोग विशेषज्ञ